स्थान: अलवर, राजस्थान
दहेज प्रथा एक सामाजिक बुराई है, जिससे आज भी भारत का अधिकांश समाज ग्रसित है। लेकिन अलवर जिले से एक ऐसी खबर सामने आई है जो समाज में नई चेतना जगाने वाली है। यहां के प्रतिष्ठित ठेकेदार मूलचंद डीगवाल जी ने अपने बेटे सुदीप डीगवाल की शादी में दहेज न लेकर एक अनूठी मिसाल पेश की है।
मूलचंद जी का मानना है कि शादी दो परिवारों का मिलन होती है, न कि सौदेबाज़ी। उन्होंने इस सोच को केवल शब्दों में नहीं, बल्कि अपने आचरण से साबित किया। बिना दहेज, पूरी सादगी और आत्मसम्मान के साथ बेटे की शादी कर उन्होंने समाज के सामने एक आदर्श प्रस्तुत किया है।
शादी के मौके पर आए लोगों ने मूलचंद जी के इस निर्णय की भूरी-भूरी प्रशंसा की। कई लोगों ने कहा कि यह एक साहसी कदम है जो समाज में व्याप्त दहेज जैसी कुप्रथा को जड़ से उखाड़ने की दिशा में प्रेरक साबित होगा।
मूलचंद जी का संदेश:
"दहेज नहीं, बेटी को सम्मान और प्रेम दें। समाज तभी बदलेगा जब हम खुद से शुरुआत करेंगे।"इस प्रेरणादायक कार्य से डीगवाल परिवार ने साबित कर दिया कि बदलाव की शुरुआत एक व्यक्ति से ही होती है। जरूरत है तो बस साहसिक कदम उठाने की।
मजदूर विकास फाउंडेशन और प्रगति न्यूज़ की ओर से ठेकेदार मूलचंद जी और उनके परिवार को हार्दिक शुभकामनाएँ और सलाम!