नई दिल्ली। भारत की सड़कों पर तेज और कर्कश हॉर्न की आवाज़ों से हर कोई परेशान रहता है। लेकिन जल्द ही इस शोरगुल को संगीत में बदला जा सकता है। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि सरकार अब ऐसा कानून लाने पर विचार कर रही है, जिससे वाहनों के हॉर्न में भारतीय वाद्य यंत्रों जैसे बांसुरी, तबला, हारमोनियम, शंख आदि की ध्वनियाँ सुनाई देंगी।
ध्वनि प्रदूषण को कम करने की दिशा में एक बड़ा कदम
गडकरी ने कहा कि आज की स्थिति में हॉर्न से जो तेज और तीखी आवाज़ें आती हैं, वे न सिर्फ कानों के लिए हानिकारक हैं बल्कि मानसिक तनाव का कारण भी बनती हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने विशेषज्ञों से भारतीय वाद्य यंत्रों की ध्वनियों को हॉर्न में शामिल करने की संभावना पर विचार करने को कहा है। इससे न केवल ध्वनि प्रदूषण में कमी आएगी, बल्कि भारतीय संस्कृति को भी बढ़ावा मिलेगा।
क्या होगा बदलाव का असर?
- सड़क पर सौम्य वातावरण: मधुर ध्वनियों से लोगों में चिड़चिड़ापन कम होगा।
- मानसिक शांति: लगातार कर्कश हॉर्न से जो तनाव उत्पन्न होता है, उसमें कमी आएगी।
- सांस्कृतिक जुड़ाव: भारतीय वाद्य यंत्रों की ध्वनि रोज़मर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा बनेगी।
- वैश्विक पहचान: यह पहल भारत को विश्व पटल पर एक अनोखी और सांस्कृतिक सोच वाला देश साबित करेगी।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
पर्यावरण और ध्वनि प्रदूषण विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह योजना लागू होती है तो यह शहरों में बढ़ते ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने की दिशा में क्रांतिकारी कदम साबित हो सकती है। हालांकि, तकनीकी रूप से यह सुनिश्चित करना चुनौती होगी कि ये ध्वनियाँ पर्याप्त प्रभावी हों और सड़क सुरक्षा में भी मददगार बनें।
भारत में यदि यह नियम लागू होता है तो यह न सिर्फ कानों को राहत देगा, बल्कि देश के सांस्कृतिक गौरव को भी आधुनिक परिवहन प्रणाली से जोड़ देगा। नितिन गडकरी की यह सोच आने वाले समय में भारत को एक नई दिशा दे सकती है – जहाँ सड़कों पर शोर नहीं, बल्कि संगीत गूंजेगा।