ताराचन्द खोयड़ावाल | सामाजिक कार्यकर्ता | RTI एक्टिविस्ट | संपादक, प्रगति न्यूज़
राम मंदिर में दलित नेता के प्रवेश पर आपत्ति — एक शर्मनाक मानसिकता
हाल ही में राजस्थान के नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली के अयोध्या राम मंदिर दर्शन पर भाजपा नेता ज्ञानदेव आहूजा द्वारा दिया गया बयान न केवल निंदनीय है, बल्कि यह समस्त दलित समाज का सीधा अपमान है। उनका यह कहना कि "टीकाराम जूली के मंदिर में प्रवेश से मंदिर अपवित्र हो गया है" और फिर उसे "गंगाजल से धोने" की बात करना एक मनुवादी सोच को उजागर करता है, जो आज के लोकतांत्रिक भारत में बर्दाश्त नहीं की जा सकती।
यह अपमान सिर्फ एक नेता का नहीं, पूरे दलित समाज का है
ज्ञानदेव आहूजा का यह बयान एक व्यक्ति पर नहीं, बल्कि भारत के करोड़ों दलितों के आत्मसम्मान पर हमला है। यह दर्शाता है कि आज भी कुछ मानसिकताएं दलितों को मंदिरों, समाज और राजनीति से दूर रखने की कोशिश कर रही हैं।
देश हमारा है, मंदिर हमारा है, अधिकार भी हमारा है
मैं, ताराचन्द खोयड़ावाल, स्पष्ट शब्दों में कहता हूँ कि —
यह देश हमारा है। इसके हर संसाधन-संसाधन, हर सड़क, हर मंदिर, हर सदन पर हमारा उतना ही हक़ है जितना किसी और का।
आप कौन होते हैं हमें रोकने वाले?
समाज को बाँटने वालों को देना होगा जवाब
ज्ञानदेव आहूजा जैसे लोग समाज में जहर घोलने का काम कर रहे हैं। ये वही लोग हैं जो राम के नाम पर राजनीति तो करते हैं, लेकिन राम के आदर्शों को अपनाना नहीं चाहते। भगवान राम ने कभी जाति में भेद नहीं किया, फिर ये कौन होते हैं किसी को "अपवित्र" कहने वाले?
दलित समाज जाग चुका है, और अब चुप नहीं बैठेगा
आज का दलित समाज पढ़ा-लिखा है, जागरूक है, और अपने हक़ के लिए संवैधानिक तरीके से संघर्ष करना जानता है। अब कोई भी अपमान चुपचाप नहीं सहा जाएगा।
ज्ञानदेव आहूजा का बयान न केवल निंदनीय है, बल्कि इससे यह भी साफ होता है कि राजनीति में आज भी दलितों को अपमानित करने की कोशिशें जारी हैं। लेकिन अब समय बदल चुका है। अब हर दलित खुद को बाबा साहेब अंबेडकर का अनुयायी मानते हुए, अन्याय के खिलाफ सीना तान कर खड़ा रहेगा।
ताराचन्द खोयड़ावाल की तरफ से एक सीधी चेतावनी:
"हम न झुकेंगे, न रुकेंगे — संविधान और न्याय के मार्ग पर चलकर अन्याय का डटकर मुकाबला करेंगे।"