बाबासाहेब अंबेडकर की 134वीं जयंती पर जयपुर में हुआ सद्भावना सम्मेलन, उप मुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा रहे मुख्य अतिथि
जयपुर, 18 अप्रैल 2025:
देश के महान संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की 134वीं जयंती के अवसर पर प्रदेश अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ी जाति, अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संगठन (रजि.) के संयुक्त तत्वावधान में सद्भावना सम्मेलन का आयोजन बी.एम. बिड़ला ऑडिटोरियम, स्टेच्यू सर्किल, जयपुर में भव्य रूप से किया गया। इस सम्मेलन के मुख्य अतिथि राजस्थान के उप मुख्यमंत्री श्री प्रेमचंद बैरवा रहे।
इस अवसर पर सामाजिक समरसता, संवैधानिक अधिकारों की रक्षा और आरक्षित वर्गों के कल्याण को केंद्र में रखते हुए गहन चर्चा हुई। संगठन की ओर से उप मुख्यमंत्री के समक्ष 11 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन प्रस्तुत किया गया, जिसमें आरक्षण की सीमा में वृद्धि, लंबित भर्तियों को समयबद्ध रूप से पूरा करना, छात्रवृत्तियों का भुगतान, रोस्टर प्रणाली में सुधार जैसे अहम मुद्दे शामिल थे।
मुख्य मांगें इस प्रकार रहीं:
- संविधान की अक्षरशः अनुपालना सुनिश्चित कराना।
- आरक्षण सीमा में जनसंख्या के अनुपात के अनुसार संशोधन (SC – 18%, ST – 14%, OBC – 27%)।
- आरक्षण बैकलॉग की विशेष भर्ती अभियान द्वारा पूर्ति।
- रोस्टर बिंदुओं का पुनः निर्धारण एवं सुधार।
- नई भर्तियों में आरक्षण के अनुसार संशोधित विज्ञापन जारी कराना।
- छात्रवृत्ति का बकाया भुगतान और महंगाई के अनुसार अद्यतन।
- विभागों में रोस्टर रजिस्टरों का संधारण और आरक्षित प्रकोष्ठ की स्थापना।
- आरक्षित वर्ग के युवाओं को विदेश में शिक्षा व रोजगार के अवसर।
- आय सीमा ₹2.5 लाख से बढ़ाकर ₹8 लाख करने की मांग।
- जनकल्याणकारी योजनाओं का समुचित लाभ आरक्षित वर्गों को दिलवाना।
- SC/ST वर्गों पर अत्याचारों के विरुद्ध ठोस एवं प्रभावी कार्रवाई।
सम्मेलन में प्रदेशभर से बड़ी संख्या में अधिकारी, कर्मचारी, छात्र, युवा, सामाजिक कार्यकर्ता और प्रतिनिधियों ने भाग लिया। वक्ताओं ने डॉ. अंबेडकर के विचारों को आत्मसात करने की बात कहते हुए, एकजुट संघर्ष की अपील की।
उप मुख्यमंत्री श्री बैरवा ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, “संगठन की सभी मांगों पर सरकार संवेदनशीलता से विचार करेगी। बाबा साहेब का सपना तभी साकार होगा, जब समाज का हर वर्ग समान अवसर और सम्मान पाएगा।”
सम्मेलन का मूल संदेश था: “हम सब एक हैं – और मिलजुल कर रहना ही हमारी जीत की कुंजी है।”
यह सम्मेलन न सिर्फ सामाजिक समरसता और अधिकारों की बात करता है, बल्कि एकजुटता और संगठन की ताकत का भी प्रतीक बनकर सामने आया।