महाबोधि महाविहार मुक्ति आंदोलन के समर्थन में अलवर में एक दिवसीय धरना प्रदर्शन

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अलवर, राजस्थान – भारत में बौद्ध धरोहरों की रक्षा और उनके मूल स्वरूप को बहाल करने के उद्देश्य से महाबोधि महाविहार मुक्ति आंदोलन का राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार किया जा रहा है। इसी कड़ी में दी बुद्धिस्ट सोसायटी ऑफ इंडिया (भारतीय बौद्ध महासभा) के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. एडवोकेट भीमराव य. अंबेडकर के निर्देशानुसार 12 मार्च 2025 को मिनी सचिवालय, भवानी तोप सर्किल, अलवर में एक दिवसीय धरना प्रदर्शन आयोजित किया जाएगा।

धरने का उद्देश्य और पृष्ठभूमि

महाबोधि महाविहार (बोधगया मंदिर) बौद्ध धर्म का एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है, जहां भगवान बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त किया था। यह स्थान बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए अत्यंत पवित्र है, लेकिन लंबे समय से यह ग़ैर-बौद्धों के नियंत्रण में है, जिसे लेकर बौद्ध समुदाय पिछले 100 वर्षों से संघर्षरत है।

बौद्ध अनुयायियों द्वारा महाबोधि मंदिर को ग़ैर-बौद्धों के नियंत्रण से मुक्त कराने की मांग लगातार की जा रही है। इस आंदोलन को और प्रभावी बनाने के लिए 12 फरवरी 2025 से बौद्ध भिक्षु भूख हड़ताल पर बैठे हैं। आंदोलन को और तेज़ करने के लिए अब देशव्यापी विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं, जिसके तहत अलवर में भी यह धरना आयोजित किया जा रहा है।

कार्यक्रम का विवरण

📅 तारीख़: 12 मार्च 2025
समय: दोपहर 12:00 बजे से 5:00 बजे तक
📍 स्थान: मिनी सचिवालय सामने, भवानी तोप सर्किल, अलवर

इस धरना प्रदर्शन के दौरान जिला कलेक्टर महोदय को दोपहर 12:00 बजे ज्ञापन सौंपा जाएगा, जिसमें बौद्ध अनुयायियों की मांगों को प्रमुखता से रखा जाएगा।

सभी बौद्ध अनुयायियों और सामाजिक न्याय समर्थकों से अपील

बौद्ध समाज और सामाजिक न्याय समर्थकों से इस महत्वपूर्ण आंदोलन में शामिल होने की अपील की गई है। यह धरना प्रदर्शन सिर्फ़ एक मांग नहीं, बल्कि धम्म और न्याय के लिए संघर्ष का हिस्सा है।

इस आंदोलन को समर्थन देने वाले प्रमुख संगठन:

✔️ समता सैनिक दल, जिला अलवर
✔️ डॉ. भीमराव अंबेडकर ज्ञान प्रकाश समिति, अलवर
✔️ भीम आर्मी, जिला अलवर
✔️ जय भीम बुद्धिस्ट सोसायटी, अलवर

आयोजक एवं संपर्क सूत्र:

🌏 दी बुद्धिस्ट सोसायटी ऑफ इंडिया, शाखा उत्तरी राजस्थान, जिला अलवर एवं समस्त मण्डल

📞 संपर्क करें:
☎️ 9462156535 | 9871334438 | 8058725568 | 9413632254

महाबोधि महाविहार को मुक्त कराने की यह लड़ाई केवल बौद्ध समाज की नहीं, बल्कि सभी न्यायप्रिय नागरिकों की है। आइए, इस आंदोलन में भाग लें और न्याय की इस लड़ाई को मजबूत करें।

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