गलत इंजेक्शन से 8 साल की बच्ची की मौत: झोलाछाप डॉक्टरों की लापरवाही पर सवाल
सिरोही, राजस्थान – चिकित्सा लापरवाही का एक और दर्दनाक मामला सामने आया है। सिरोही जिले के काछोली गांव में एक झोलाछाप डॉक्टर की लापरवाही के कारण 8 वर्षीय मासूम की जान चली गई। इस घटना ने एक बार फिर से सवाल खड़े कर दिए हैं कि बिना योग्यताओं के इलाज कर रहे फर्जी डॉक्टरों पर सख्त कार्रवाई कब होगी?
कैसे हुई घटना?
जानकारी के अनुसार, जाह्नवी नाम की बच्ची को खांसी की शिकायत थी, जिसके इलाज के लिए परिजन उसे गांव के ही मंसूर अली नामक झोलाछाप डॉक्टर के पास ले गए। मंसूर ने बच्ची को एक इंजेक्शन लगाया, जिसके बाद उसकी तबीयत अचानक बिगड़ गई और वह बेहोश हो गई। परिजन घबरा गए और तुरंत उसे दूसरे अस्पताल ले गए, लेकिन वहां डॉक्टरों ने जाह्नवी को मृत घोषित कर दिया।
डॉक्टर गिरफ्तार, क्लीनिक सील
बच्ची की मौत के बाद परिजनों ने हंगामा किया और पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने आरोपी मंसूर अली को गिरफ्तार कर लिया और उसके क्लीनिक को सील कर दिया है। पुलिस मामले की गहराई से जांच कर रही है कि आरोपी डॉक्टर के पास कोई योग्यता थी या वह सिर्फ झोलाछाप तरीके से लोगों का इलाज कर रहा था।
झोलाछाप डॉक्टरों की बढ़ती समस्या
ग्रामीण इलाकों में अक्सर झोलाछाप डॉक्टर बिना किसी डिग्री और मेडिकल ट्रेनिंग के इलाज कर रहे हैं। ये डॉक्टर सस्ते इलाज और जल्दी राहत के नाम पर लोगों को गुमराह करते हैं, लेकिन उनकी लापरवाही कई बार जानलेवा साबित होती है।
इस मामले में भी यही हुआ, जहां बच्ची को सही इलाज के बजाय गलत दवा दी गई, जिससे उसकी जान चली गई। सवाल यह उठता है कि ऐसे फर्जी डॉक्टरों पर प्रशासन की नजर क्यों नहीं रहती? और लोग क्यों अपनी जान को खतरे में डालकर इनके पास इलाज कराने जाते हैं?
सरकार और प्रशासन को क्या करना चाहिए?
- सख्त कानूनों का पालन: बिना मेडिकल डिग्री के इलाज करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
- ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाना: लोग मजबूरी में झोलाछाप डॉक्टरों के पास जाते हैं, क्योंकि आसपास अच्छे अस्पताल नहीं होते। सरकार को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की संख्या और उनकी गुणवत्ता बढ़ानी चाहिए।
- जनजागरूकता अभियान: लोगों को समझाना होगा कि झोलाछाप डॉक्टरों से इलाज कराना खतरनाक हो सकता है। सही और प्रमाणित डॉक्टर से ही इलाज कराना चाहिए।
जाह्नवी की मौत सिर्फ एक बच्ची की मौत नहीं है, बल्कि यह हमारे स्वास्थ्य व्यवस्था की कमजोरियों को उजागर करती है। जब तक झोलाछाप डॉक्टरों पर सख्ती नहीं की जाएगी और गांवों में अच्छी चिकित्सा सुविधाएं नहीं मिलेंगी, तब तक ऐसे दर्दनाक हादसे होते रहेंगे। अब समय आ गया है कि सरकार, प्रशासन और आम जनता मिलकर इस समस्या का हल निकालें, ताकि कोई और मासूम अपनी जान न गंवाए।