आयोग सचिव ने बताया कि सोशल मीडिया पर अपलोड किए गए वीडियो की संक्षिप्त छानबीन में वीडियो अपलोड करने वाले व्यक्ति तथा उसके द्वारा संचालित कोचिंग संस्थान के विषय में प्राथमिक जानकारी प्राप्त होने पर वह भरतपुर में चैतन्य एकेडमी नाम के कोचिंग संस्थान का संचालक प्रतीत होता है।
आयोग की ओर से उक्त व्यक्ति को नोटिस जारी कर आयोग की गोपनीयता भंग करने से संबंधित आपराधिक कृत्य के संबंध में 7 दिवस में स्पष्टीकरण के साथ ही वीडियो में जिन विशेषज्ञों के साथ वार्ता होना बताया है, उनका नाम एवं विवरण भी मांगा गया है।
आयोग के मुख्य परीक्षा नियंत्रक श्री आशुतोष गुप्ता ने इसी संबंध में बताया कि वीडियो अपलोड करने वाले व्यक्ति तथा कोचिंग संस्थान के पते एवं कार्यस्थल से संबंधित कोई अन्य जानकारी यदि किसी के पास हो तो इस संबंध में आयोग को अवश्य सूचित करें, ताकि प्रकरण में त्वरित कार्यवाही की जा सके।
उल्लेखनीय है कि 15 फरवरी को ’’आरएएस मुख्य परीक्षा पर प्रोफेसर ने किया जबरदस्त खुलासा’’ शीर्षक से एक वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित किया गया है। इस वीडियो में तथाकथित विशेषज्ञ को कथित रूप से आरएएस मुख्य परीक्षा का मूल्यांकनकर्ता बताते हुए वार्तालाप करते हुए बताया गया है। इसके साथ ही वीडियो में सभी कंटेंट ओरिजनल होने तथा कानूनी बाध्यता के कारण तथाकथित प्रोफेसर के जवाब को किसी और की आवाज में रूपांतरित करने का भी उल्लेख किया गया था। आयोग द्वारा की गई जांच में यह भी सामने आया कि संबंधित कोचिंग संचालक द्वारा स्वयं के व्हाट्सएप चैनल पर आयोग की गोपनीय प्रणाली से संबंधित हस्तलिखित प्रश्नोत्तरी भी अपलोड की गई थी।
आयोग के विशेषज्ञ के संदर्भ में जारी इस वीडियो से आयोग की गोपनीयता प्रभावित होने के साथ ही अनेक कानूनों का उल्लंघन भी हुआ है, जिनमें कठोर दंड का प्रावधान यथाः-
(1) राजस्थान सार्वजनिक परीक्षा (मेजर्स फॉर प्रिवेंशन ऑफ अनफेयर मीन्स इन रिक्रूटमेंट) अधिनियम, 2022 की धारा 5 में उल्लेख है कि - कोई भी व्यक्ति, जो सार्वजनिक परीक्षा से संबंधित किसी भी कार्य में लगाया गया है, ऐसी सूचना या उसका भाग जो उसे इस प्रकार ड्यूटी के दौरान किए जाने वाले कार्य के आधार पर जानकारी में आया है, किसी भी अन्य वयक्ति को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रकट नहीं करायेगा और न किसी को बताएगा। ऐसा किए जाने पर इसी अधिनियम की धारा 10 में दस वर्ष से लेकर आजीवन कारावास तथा रू 10 लाख से 10 करोड़ तक के जुर्माने से दंड का प्रावधान है। इसी प्रकार के प्रावधान भारतीय न्याय संहिता की धारा 316 आपराधिक प्रन्यास भंग में एवं आईटी एक्ट, 2000 की धारा 72 एवं धारा 72 ए में भी हैं।