क्यों बंद किए गए स्कूल
इन स्कूलों को बंद करने से पहले शिक्षा विभाग ने जिला शिक्षा अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी थी. जिसके बाद अधिकारियों ने अपने-अपने जिलों के उन स्कूलों की लिस्ट शिक्षा निदेशालय को भेजी थी. जिनमें एक भी बच्चे नहीं पढ़ रहे थे. अधिकारियों के मुताबिक, इन स्कूलों के पास में ही दूसरे सरकारी अपर प्राथमिक स्कूल संचालित हो रहे थे. जिसके चलते इन स्कूलों में छात्रों की संख्या शून्य हो गई.
इस रिपोर्ट के आधार पर जिला शिक्षा अधिकारियों ने इन स्कूलों को बंद करने का प्रस्ताव दिया. इस प्रस्ताव के आधार पर शिक्षा निदेशालय ने राज्य सरकार से इन स्कूलों को बंद करने की अनुमति मांगी. और राज्य सरकार की अनुमति मिलते ही स्कूल बंद करने के आदेश जारी कर दिए गए.
बंद होने वाले स्कूलों के टीचर्स का क्या होगा?
अब बंद होने वाले स्कूलों का अलग से कोई प्रशासनिक अस्तित्व नहीं रहेगा. सभी बच्चों को पास के स्कूल में शिफ्ट कर दिया जाएगा. और इन स्कूलों में पढ़ा रहे टीचर्स को दूसरे स्कूलों में खाली पदों पर पोस्टिंग दी जाएगी. स्टाफिंग पैटर्न (स्टूडेंट-टीचर अनुपात) के आधार पर जिला शिक्षा अधिकारी इन टीचर्स को समायोजित करेंगे.जब तक स्टाफिंग पैटर्न पर समायोजन नहीं हो जाता, तब तक ये शिक्षक अपने पास के स्कूल में पढ़ाएंगे.
स्कूल की संपत्ति ट्रांसफर होगी
जो स्कूल बंद हो गए हैं. उनकी संपत्तियों का ट्रांसफर पास के स्कूल को की जाएगी. इसमें स्कूल की जमीन और फर्नीचर शामिल हैं. शिक्षा निदेशालय के आदेश में बंद होने वाले स्कूल के पास दूसरे स्कूल का नाम दिया गया है. जहां संपत्ति ट्रांसफर की जाएगी.