बहरोड़। कस्बे के स्टेडियम के सामने मनुस्मृति को अंबेडकरवादियों के द्वारा मनुस्मृति को जलाया गया। मनुस्मृति में व्याप्त सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक असमानता आदि विभिन्न बुराइयों के चलते बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर ने 25 दिसंबर, 1927 को मनु स्मृति का दहन किया था। भारत के आजाद होने तथा संविधान के लागू होने के बाद आज भी भारत का एक तबका मनुस्मृति में व्याप्त बुराइयों की अनुपालना कर रहा है जो कि विधिविरुद्ध है।
इन सामाजिक बुराइयों को समाप्त करने के क्रम में बहरोड़ स्टेडियम के सामने अंबेडकरवादियों द्वारा मनुस्मृति का प्रतीकात्मक दहन किया गया। इस अवसर पर सभी ने शपथ ली कि हम भारतीय संविधान की पूर्ण रूप से अनुपालना करते हुए भारत में व्याप्त बुराइयों को दूर करने के लिए कटिबद्ध रहेंगे।
इस दौरान मातादीन, गोकुल चंद मांढ़ैया, कैप्टन गुगन राम, सुभाष मैनेजर, राजेश गोकुलपुर, कृष्ण मांढ़ैया, मनोज पार्षद, दयाराम गुरुजी, कर्मपाल, अर्चना सिंह बौद्ध आदि उपस्थित रहे।