राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा है कि प्रदेश में सरकारी और प्राइवेट संस्थानों में काम करने वाली वर्किंग वुमन 180 दिन के मैटरनिटी लीव की हकदार है। किसी भी नियम और रेगुलेशन से उसका यह अधिकार नहीं छीना जा सकता है। यदि ऐसा होता है तो यह महिला के संवैधानिक अधिकारों का हनन माना जाएगा। जस्टिस अनूप ढंढ की अदालत ने यह आदेश रोडवेज में कार्यरत कंडक्टर मीनाक्षी चौधरी की याचिका पर फैसला सुनाते हुए दिया।