निर्माण श्रमिको के लिए व्यवसायिक ऋण पर ब्याज के पुर्नभरण योजना
योजना के लिए आवेदन करने की प्रक्रिया
1. हिताधिकारी द्वारा निर्धारित प्रपत्र में मण्डल के ऑनलाईन पोर्टल http://www.ldms.rajasthan.gov.in पर ऑनलाईन आवेदन प्रस्तुत करना होगा।
2. आवेदन पत्र प्रस्तुत करने की समयावधि- अधिसूचना प्रकाशित होने की तिथि के पश्चात बैंक/वित्तिय संस्थान से लिए गए ऋण पर इस योजना के प्रावधान लागू होगे तथा हिताधिकारी द्वारा ब्याज राशि की किश्त चुकाये जाने की तिथि के 6 माह की अवधि में आवेदन प्रस्तुत किया जा सकेगा।
3 . स्वीकृतकर्ता अधिकारी:- स्थानीय श्रम कार्यालय के वरिष्ठतम अधिकारी अथवा मण्डल सचिव द्वारा अधिकृत अन्य अधिकारी परीक्षण एवं पूर्ण संतुष्टि उपरांत स्वीकृति जारी की जायेगी।
4 . प्रोत्साहन राशि केन्द्रीय बैंकिंग व्यवस्था के अधीन अभ्यर्थी के बैंक खाते में इलैक्ट्रोनिक माध्यम (आरटीजीएस/एनईएफटी) से हस्तान्तरित की जायेगी।
नियम व शर्तें
1. इस योजना के लिए वे निर्माण श्रमिक पात्र होगें, जो हिताधिकारी के रूप में मण्डल में पंजीकृत हैं तथा निरन्तर अंशदान जमा करा रहे हैं।
2. निर्माण श्रमिको द्वारा व्यावसायिक ऋण के संबंध में प्राप्त होने वाले आवेदनों को मण्डल द्वारा वित्तीय संस्थान को नियमानुसार कार्यवाही करने हेतु अग्रेषित किया जा सकता है।
3. योजना के अन्तर्गत निर्माण श्रमिको के द्वारा स्वयं के व्यवसायिक कार्य जैसे मशीन आदि खरीदने अथवा आत्मनिर्भरता की दृष्टि से अधिकतम 5 लाख रूपये तक बैंक/वित्तीय संस्थान से लिये गए ऋण की स्वीकृति होना आवश्यक है।
4. दुकान/भू-खण्ड/वाहन अथवा घरेलू सामान क्रय करने हेतु लिये गए ऋण पर योजना के अन्तर्गत सहायता राशि देय नहीं है।
5. 5 लाख रूपये तक लिये गये व्यवसायिक ऋण पर देय वार्षिक ब्याज का पुनर्भरण उसी स्थिति में किया जायेगा, जब हिताधिकारी द्वारा वित्तीय संस्था को प्रतिवर्ष ब्याज चुकाये जाने के आशय का प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करेगा।
6. हिताधिकारी के द्वारा ब्याज का भुगतान निर्धारित समय में नहीं करने अथवा वित्तीय संस्था द्वारा दण्ड/जुर्माना लगाये जाने पर जुर्माना राशि का पुनर्भरण मण्डल द्वारा नहीं किया जायेगा।
7. एक समय में पंजीकृत हिताधिकारी की पत्नी/पति में से एक के द्वारा ही लिए गए ऋण पर यह योजना प्रभावी होगी।
8. हिताधिकारी द्वारा योजना के अन्तर्गत प्रस्तुत सहायता आवेदन में दी गई सूचनाओं में कोई तथ्य असत्य पाया जाता है, तो योजनान्तर्गत स्वीकृत समस्त सहायता राशि एक मुश्त मय ब्याज के जमा कराने का उत्तरदायित्व संबंधित हिताधिकारी का होगा।